हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु दोस्तों संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। महारानी पद्मिनी कहें या रानी पद्मावती, उनका सौंदर्य अद्वितीय था। यही कारण है कि इतिहास में उनकी सुंदरता की जमकर तारीफ की गई है।फिल्म पद्मावती का बवाल बढ़ता ही जा रहा है राजपूतो के अलावा कई राजनितिक हस्तिया इस फिल्म को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा राखी है इस फिल्म को बैन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चले गए है हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जिम्मेदारी सेंसर बोर्ड पर डाल रखा है इस फिल्म के विरोध में खड़े लोगो का यह आरोप है की इस फिल्म में रानी पद्मावती के चरित्र यानी व्यक्तित्व को गलत तरिके से दर्शाया गया है इन लोगो का आरोप है की इस फिल्म में रानी पद्मावती को गलत तरिके से नाचते हुवे दिखाया गया है इससे राजपूत समाज गुस्से में है और करनी सेना तब से इस फिल्म के पीछे , संजय लीला बंशलि के पीछे लगी हुवी है जब से इस फिल्म की सुट्टीग शुरू हुवी थी ,
संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावती के विरोध में अब मुस्लिम धर्म गुरू भी सामने आए हैं। अजमेर दरगाह दीवान ने कहा है कि भंसाली ने इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया है। ऐसे में राजपूतों का साथ देने के लिए मुसलमानों को भी आगे आना चाहिए।
मगर दोस्तों आज हम बात करने वाले है रानी पद्मावती की , रानी पद्मावती के इतिहास की ,
बारवी और तेरवी सदी में अलाउद्दीन खिलजी ने सुन्दर रानी पद्मावती को पाने के लिए मेवाड़ पर हमला किया था मगर इस कहानी को कुछ लोग गलत मानते है कुछ लोगो का आरोप है यह कहानी मुस्लिम लोगो ने हिन्दुओ को ठेस पहुंचने के लिए लिखी है
आइये अब आपको रानी पद्मावती की पूरी कहानी बताते है रानी पद्मिनी बचपन से ही बहुत सुन्दर थी और जैसे जैसे वो बड़ी हुवी वैसे वैसे उसकी सुंदरता बढ़ती ही गयी , और बड़ी होने पर उसके पिता ने उसका स्वयंवर आयोजित किया था इस स्वयंवर में उन्होंने सभी हिन्दू और राजपूत राजाओ को बुलाया था
इनमे एक राजा रावल रतनसिंग पहले से ही अपनी एक पत्नी नागमती होने के बाउजूद इस स्वयंवर में आया था पुराने जमाने में राजा एक से अधिक विवाह किया करते थे ताकि वंश ज्यादा बढे और ज्यादा उत्तराधिकारी मिल सके ,
राजा रावल रतनसिंग ने स्वयंवर जीतकर रानी पद्मिनी से शादी कर ली और विवाह के बाद वह अपनी पत्नी के साथ चितोड़ लोट आए , एक अच्छे योद्धा एक अच्छे पति होने के साथ साथ रतनसिंग कला के जानकार भी थे रावल रतनसिंग के दरबार में कई संगीतकार भी थे इनमे एक थे राघव चेतन नाम के शक्श , राघव चेतन के बारे में लोगो को यह नहीं मालूम था की यह एक जादूगर भी है वह इस काले जादू का इस्तेमाल दुश्मनो को मार गिराने में करते थे एक बार राघव चेतन को बुरी आत्माओ को बुलाते समय रावल रतनसिंग देख लेते है और उन्हें रंगे हातो पकड़ लेते है इस बात से नाराज होकर रावल रतनसिंग ने राघव चेतन का मुँह काला करके दरबार से निकाल देते है इस घटना के बाद जादूगर राघव चेतन राजा रतनसिंग का दुसमन बन गया , बदले की भावना में जलते हुवे जादूगर राघव चेतन दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन खिलजी से चितोड़ पर हमला कराने के मकसद से उनके पास पहुंच गया , इस पर अलाउद्दीन खिलजी ने राघव चेतन को साफ साफ बात बताने के लिए कहा इस पर राघव चेतन ने सुलतान से रानी पद्मिनी के सुंदरता का बखान किया और बताया की रानी पद्मिनी से सुन्दर कोई नहीं हो सकती , यह सुनकर खिलजी की वासना जाग उठी , उसने रानी पद्मिनी को अपने महल में लाने के इरादे से चितोड़ पर हमला करने का इरादा किया , जल्दबाजी में बेचैन अलाउद्दीन खिलजी चितोड़ पहुंचे मगर खिलजी को चितोड़ का किला भारी रक्षण में दिखा। , सुन्दर रानी पद्मिनी की एक झलक पाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी बेचैन हो उठा , खिलजी ने रावल रतनसिंग को एक पत्र भेजा और उसमे लिखा की मेने रानी पद्मिनी की सुंदरता के बहुत चर्चे सुने है हम एक बार रानी की झलक पाना चाहते है फिर हम वापिस लोट जाएगे इस बात को सुनते ही रतन सिंह खिलजी के आक्रमण को रोकने और राज्य की शांति को बनाए रखने के लिए इनकी बात से सहमत हो गए , रानी पद्मिनी खिलजी को कांच में अपना चेहरा दिखने के लिए राजी हो गई , जब अलाउद्दीन खिलजी को यह खबर पता चली की रानी पद्मिनी उससे मिलने के लिए तैयार हो गयी है तो वह अपने कुछ योद्धाओ के साथ सावधानी से किले में प्रवेश कर गया , और जब रानी पद्मिनी के चेहरे को कांच में खिलजी ने देखा तो खिलजी ने रानी की सुंदरता को देख होश उड़ गए , और उसने सोचा की रानी को वह अपनी बनाकर ही रहेगा , वापिस अपने सीवर लौटते समय खिलजी रतन सिंह के साथ चल रहा था और मौका पाकर खिलजी ने रतनसिंघ को बंदी बना लिया और पद्मिनी की मांग करने लगा इस पर रत्न सिंह के कुछ योद्धाओ ने एक चाल चली और खिलजी को एक संदेश भेजा की अगली सुबह पद्मिनी आपको सौंप की जाएगी , अगले दिन सुबह भोर होते ही एक सो पचास पालकियों को खिलजी के शिविर की तरफ रवाना कर दी गयी , पालकियां वहां रुकी जहां रतन सिंह को बंदी बनाया गया था , पालकियों को देखकर रतन सिंह ने सोचा यह पालकियां किले से आई है और इनके साथ रानी पद्मिनी भी आई होगी और वह अपने आप को बहुत अपमानित समझने लगा , मगर उन पालकियों ने ना ही रानी और ना हि दासिया थी। उसमे योद्धा थे और अचानक उन पालकियों में से सशत्र योद्धा निकले और राजा रतन सिंह को छुड़वा लिया गया और खिलजी के घोड़े चुराकर किले की तरफ भाग गए , जब खिलजी को यह पता चला की उसकी योजना नाकाम हो गयी है तो खिलजी ने गुस्से में आकर अपनी सेना को चितोड़ पर हमला करने के आदेश दिए , सुलतान की सेना ने किले में प्रवेश करने की बहुत कोशिस की मगर नाकाम रही मगर खिलजी ने किले की घेरा बंदी करने का निश्चय किया और घेरा बंदी इतनी कड़ी थी की किले में खाने पिने का सामान धीरे धीरे खत्म होने लगा और अंत में रतनसिंग ने किले के द्वार खोलने के आदेश दिए और उसके सेनिको से लड़ते हुवे राजा रतन सिंह वीर गति को प्राप्त हो गए यह सुचना सुनकर रानी पद्मावती ने सोचा की अब सुलतान की सेना सभी पुरुषो को मार देगी अब चितोड़ की ओरतो के पास दो ही विकल्प थे या तो वो जोहर के लिए तैयार हो या फिर खिलजी की सेना के सामने अपना निरादर सहे , सभी महिलाए जोहर के लिए तैयार हो गयी , और फिर किले में एक विशाल चिता जलाए गयी और फिर उस चिता में रानी पद्मिनी के साथ साथ चितोड़ की सभी महिलाए उसमे कूद गयी इस प्रकार दुश्मन बहार खड़े देखते रह गए , जब खिलजी की सेना ने किले में प्रवेश किया तो उनको चितोड़ की महिलाओ की राख और केवल जली हुवी हड्डियां मिली जिन महिलाओ ने इज्जत बचने के लिए जोहर किया उनको आज भी याद किया जाता है
दोस्तों जानकारी अच्छी लगे लाइक बटन पर क्लीक जरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलना , आपका धन्यवाद
संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावती के विरोध में अब मुस्लिम धर्म गुरू भी सामने आए हैं। अजमेर दरगाह दीवान ने कहा है कि भंसाली ने इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया है। ऐसे में राजपूतों का साथ देने के लिए मुसलमानों को भी आगे आना चाहिए।
मगर दोस्तों आज हम बात करने वाले है रानी पद्मावती की , रानी पद्मावती के इतिहास की ,
बारवी और तेरवी सदी में अलाउद्दीन खिलजी ने सुन्दर रानी पद्मावती को पाने के लिए मेवाड़ पर हमला किया था मगर इस कहानी को कुछ लोग गलत मानते है कुछ लोगो का आरोप है यह कहानी मुस्लिम लोगो ने हिन्दुओ को ठेस पहुंचने के लिए लिखी है
आइये अब आपको रानी पद्मावती की पूरी कहानी बताते है रानी पद्मिनी बचपन से ही बहुत सुन्दर थी और जैसे जैसे वो बड़ी हुवी वैसे वैसे उसकी सुंदरता बढ़ती ही गयी , और बड़ी होने पर उसके पिता ने उसका स्वयंवर आयोजित किया था इस स्वयंवर में उन्होंने सभी हिन्दू और राजपूत राजाओ को बुलाया था
इनमे एक राजा रावल रतनसिंग पहले से ही अपनी एक पत्नी नागमती होने के बाउजूद इस स्वयंवर में आया था पुराने जमाने में राजा एक से अधिक विवाह किया करते थे ताकि वंश ज्यादा बढे और ज्यादा उत्तराधिकारी मिल सके ,
राजा रावल रतनसिंग ने स्वयंवर जीतकर रानी पद्मिनी से शादी कर ली और विवाह के बाद वह अपनी पत्नी के साथ चितोड़ लोट आए , एक अच्छे योद्धा एक अच्छे पति होने के साथ साथ रतनसिंग कला के जानकार भी थे रावल रतनसिंग के दरबार में कई संगीतकार भी थे इनमे एक थे राघव चेतन नाम के शक्श , राघव चेतन के बारे में लोगो को यह नहीं मालूम था की यह एक जादूगर भी है वह इस काले जादू का इस्तेमाल दुश्मनो को मार गिराने में करते थे एक बार राघव चेतन को बुरी आत्माओ को बुलाते समय रावल रतनसिंग देख लेते है और उन्हें रंगे हातो पकड़ लेते है इस बात से नाराज होकर रावल रतनसिंग ने राघव चेतन का मुँह काला करके दरबार से निकाल देते है इस घटना के बाद जादूगर राघव चेतन राजा रतनसिंग का दुसमन बन गया , बदले की भावना में जलते हुवे जादूगर राघव चेतन दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन खिलजी से चितोड़ पर हमला कराने के मकसद से उनके पास पहुंच गया , इस पर अलाउद्दीन खिलजी ने राघव चेतन को साफ साफ बात बताने के लिए कहा इस पर राघव चेतन ने सुलतान से रानी पद्मिनी के सुंदरता का बखान किया और बताया की रानी पद्मिनी से सुन्दर कोई नहीं हो सकती , यह सुनकर खिलजी की वासना जाग उठी , उसने रानी पद्मिनी को अपने महल में लाने के इरादे से चितोड़ पर हमला करने का इरादा किया , जल्दबाजी में बेचैन अलाउद्दीन खिलजी चितोड़ पहुंचे मगर खिलजी को चितोड़ का किला भारी रक्षण में दिखा। , सुन्दर रानी पद्मिनी की एक झलक पाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी बेचैन हो उठा , खिलजी ने रावल रतनसिंग को एक पत्र भेजा और उसमे लिखा की मेने रानी पद्मिनी की सुंदरता के बहुत चर्चे सुने है हम एक बार रानी की झलक पाना चाहते है फिर हम वापिस लोट जाएगे इस बात को सुनते ही रतन सिंह खिलजी के आक्रमण को रोकने और राज्य की शांति को बनाए रखने के लिए इनकी बात से सहमत हो गए , रानी पद्मिनी खिलजी को कांच में अपना चेहरा दिखने के लिए राजी हो गई , जब अलाउद्दीन खिलजी को यह खबर पता चली की रानी पद्मिनी उससे मिलने के लिए तैयार हो गयी है तो वह अपने कुछ योद्धाओ के साथ सावधानी से किले में प्रवेश कर गया , और जब रानी पद्मिनी के चेहरे को कांच में खिलजी ने देखा तो खिलजी ने रानी की सुंदरता को देख होश उड़ गए , और उसने सोचा की रानी को वह अपनी बनाकर ही रहेगा , वापिस अपने सीवर लौटते समय खिलजी रतन सिंह के साथ चल रहा था और मौका पाकर खिलजी ने रतनसिंघ को बंदी बना लिया और पद्मिनी की मांग करने लगा इस पर रत्न सिंह के कुछ योद्धाओ ने एक चाल चली और खिलजी को एक संदेश भेजा की अगली सुबह पद्मिनी आपको सौंप की जाएगी , अगले दिन सुबह भोर होते ही एक सो पचास पालकियों को खिलजी के शिविर की तरफ रवाना कर दी गयी , पालकियां वहां रुकी जहां रतन सिंह को बंदी बनाया गया था , पालकियों को देखकर रतन सिंह ने सोचा यह पालकियां किले से आई है और इनके साथ रानी पद्मिनी भी आई होगी और वह अपने आप को बहुत अपमानित समझने लगा , मगर उन पालकियों ने ना ही रानी और ना हि दासिया थी। उसमे योद्धा थे और अचानक उन पालकियों में से सशत्र योद्धा निकले और राजा रतन सिंह को छुड़वा लिया गया और खिलजी के घोड़े चुराकर किले की तरफ भाग गए , जब खिलजी को यह पता चला की उसकी योजना नाकाम हो गयी है तो खिलजी ने गुस्से में आकर अपनी सेना को चितोड़ पर हमला करने के आदेश दिए , सुलतान की सेना ने किले में प्रवेश करने की बहुत कोशिस की मगर नाकाम रही मगर खिलजी ने किले की घेरा बंदी करने का निश्चय किया और घेरा बंदी इतनी कड़ी थी की किले में खाने पिने का सामान धीरे धीरे खत्म होने लगा और अंत में रतनसिंग ने किले के द्वार खोलने के आदेश दिए और उसके सेनिको से लड़ते हुवे राजा रतन सिंह वीर गति को प्राप्त हो गए यह सुचना सुनकर रानी पद्मावती ने सोचा की अब सुलतान की सेना सभी पुरुषो को मार देगी अब चितोड़ की ओरतो के पास दो ही विकल्प थे या तो वो जोहर के लिए तैयार हो या फिर खिलजी की सेना के सामने अपना निरादर सहे , सभी महिलाए जोहर के लिए तैयार हो गयी , और फिर किले में एक विशाल चिता जलाए गयी और फिर उस चिता में रानी पद्मिनी के साथ साथ चितोड़ की सभी महिलाए उसमे कूद गयी इस प्रकार दुश्मन बहार खड़े देखते रह गए , जब खिलजी की सेना ने किले में प्रवेश किया तो उनको चितोड़ की महिलाओ की राख और केवल जली हुवी हड्डियां मिली जिन महिलाओ ने इज्जत बचने के लिए जोहर किया उनको आज भी याद किया जाता है
दोस्तों जानकारी अच्छी लगे लाइक बटन पर क्लीक जरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलना , आपका धन्यवाद
JTV Casino launches online games on mobile and desktop
ReplyDeleteJTV Casino's 서울특별 출장샵 online 정읍 출장샵 mobile-optimised 천안 출장마사지 games portfolio is to the desktop of mobile devices, 경주 출장샵 ensuring it is optimised to work and 성남 출장안마