Thursday, 30 November 2017

ईद मिलादुननबी मनाना सही है एक सुन्नी मुसलमान के विचार

हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु  , दोस्तों सबसे पहले तो आप सभी भाई बहनो को ईद मिलादून्नबी की मुबारक बाद  , दोस्तों अब बात करते है की ईद मिलादुननबी क्यों मनाई जाती है और इसकी हकीकत क्या है?
मिलाद से मुराद है पैदाइश का दिन और
ईद मिलादुननबी का मतलब है नबी-ए-करीम ﷺ की पैदाइश के दिन ईद मानना.
12 रबी-उल-अव्‍वल को ईदों कि ईद भी कहा जाता है । क्‍यों कि माहे रमज़ान में कुर्आन-ए-मुकद्स नाजिल हुआ तो वह ईद-उल-फित्र कहलाया और इस महीने में खुद साहिबे कुर्आन (जिनपर कुर्आन नाजिल हुआ वह) हुजूर सल्‍लल्‍लाहु अलैही व-सल्‍लम कि तशरीफ आवरी हुई है । तो यह मुसलमानों कि ईद बल्कि ईदों कि ईद हुई ।
 12 रबीउल अव्वल को मुहम्मद ﷺ की विलादत हुई थी और उनकी विलादत का दिन ख़ुशी का दिन है इसलिए हर साल इस दिन को बड़ी ख़ुशी के साथ मनाया जाता हैं , नए कपड़े पहने जाते हैं, घरों में मिठाइयां और पकवान बनाये जाते हैं, और एक जुलूस भी निकाला जाता है जिसमे माइक और लाउडस्पीकर पर नारे लगाते हुए,  खुशियां मनाते हैं. हर मुसलमान आल्‍लाह तआला के बाद अगर सबसे जियादा किसी से मुहब्‍बत करता है तो पैगंम्‍बर-ए-इस्‍लाम हजरत मुहम्‍मद सल्‍लल्‍लाहु अलैही व-सल्‍लम से करता हैं । इसी का सुबुत हमें ईद मिलादुननबी के दिन देखने को मिल्‍ता हैं । जैसे ही ईद-ए-मिलादुन्‍नबी कि आमद होती है । मुसलमानों में एक खुशी कि लहर दौड पडती है । आशिकाने रसुल अपने घरों को सजाते हैं । मोहला दर-मोहल्‍ला सजाए जातें हैं ।  झंडे लगाकर अमन-व-सलामती का परचम बुलंद किया जाता है ।
जैसे जैसे ज़माना तरक्‍की करता रहा वैसे वैसे लोग हर चिज़ अच्‍छे से अच्‍छे तरीके से करते रहे । जिस तरह पहले मस्जिदें बिलकुल सादा किस्‍म कि हुआ करती थी आज आलिशान बन गई हैं । पहले कुर्आन शरीफ सादा तबाअत (छपाई) में होता था । अब बहतरीन छपाई के साथ दस्‍तीयाब है । साहाबा-ए-किराम के दौर में महफिलें घरों में मुनक्किद होती थी लेकिन आज बडे बडे इज्‍तेमाआत मुनक्किद होते हैं । जल्‍सा-व-जुलुस कि शक्‍ल में नबी अलैहीस्‍सलाम कि मुहब्‍बत का सुबुत पेश किया जाता है । शैरनी, मिठाई वगैरह तक्‍सीम कि जाती है ।
मगर कुछ लोग इसे गलत मानते है उनका कहना है की ईद मिलादुन नबी को कभी भी रसूलल्लाह के ज़माने हयात में नहीं मनाया गया और न ही कभी आप ﷺ ने इसे मनाने का हुक्म दिया.
इस तीसरी ईद को सहाबए कराम में से किसी ने नहीं मनाया ताबईन और तब ताबईन के दौर में भी कभी कहीं इस ईद का ज़िक्र नहीं मिलता  और न ही उस ज़माने में भी किसी ने इस ईद को मनाया था.
ऐसे लोगो से कहना है की क्या अपने मुल्क का झंडा कभी किसी सहाबी ने फ़हराया~???
क्या आज़ादी का झंडा लगाना जाईज़ है~???
15 अगस्त यौम-ए-आज़ादी को पुरे मुल्क में तिरंगा फ़हराया जाता है  और मुस्लिम मदरसों में भी झंडा लहराया जाता है , ठीक है दोस्तों  ये झंडे फ़हराना और आज़ादी का जश्न सुन्नी मदरसों के साथ-साथ सभीं फ़िरक़े के मदरसों में मनाया जाता है और ऐसा करके सभीं मुसलमान अपने मुल्क से मोहब्बत का सुबूत देते है , .
ये बहोत अच्छी बात है क्योंकि अपने वतन से मोहब्बत करना हर मुसलमान का फ़र्ज़ है,,,
मैं भी हमारें वतन हिन्दोस्तान से बहोत बहोत मोहब्बत करता हु और मुझे ईस बात का बहोत फ़ख़्र है की मैं एक हिन्दोस्तानी मुसलमान हु,,,,,
अब दोस्तों ईसमें ग़ौर करने वाली बात ये है की हमारा मुल्क आज़ाद हुवा उसकी आज़ादी का जश्न मनाना जाईज़ है उसका झंडा लहराना,यनि झंडा लगाना जाईज़ है.
लेकिन जब 12 रबी-उल-अव्‍वल का मुबारक दिन आता है जिस दिन ईस दुनिया को कुफ़्र से आज़ादी मिली अल्लाह के महबूब के मुबारक क़दम ईस ज़मीन पर आए उस दिन जश्न मनानें और सब्ज़ रंग के झंडे लगानें को कुछ लोग जो अपनें आपको मुसलमान कहतें हैं नाजाईज़ हराम और बिदअत कहतें है,,,,,
 जबकि हज़रत जिब्रईल अलैहीस सलाम ने उस दिन एक सब्ज़ झंडा मश्रिक़,एक मग़रिब और एक काबे की छत पर लगाया था
अरे नासमझों वतन की आज़ादी के जश्न मनाने का हुक्म कब अल्लाह ने दिया~???कब नबी ने दिया~???या किस सहाबी ने ऐसा किया~???
जब जश्न-ए-ईद-ए-मिलादुन्नबी मनाने का वक़्त आता है तो कुछ लोग हम से दलील मांगतें हैं हम से हवाला मांगतें हैं की जश्न-ए-ईद-ए-मिलादुन्नबी मनाना और झंडें लगाना नाजाईज़ और हराम हैं,
और जब हमारे भारत देश की यौम-ए-आज़ादी का वक़्त आता है तब यहीं लोग अपनी हुब्बुल वतनी यानि वतन से मोहब्बत का सबूत देतें हैं,उस वक़्त ये कोई दलील नही मांगतें,,,,,क्यों सिर्फ़ मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शान-ए-अक़दस के वक़्त ही ईनकी गंदी ज़ुबानों से गुस्ताख़ियाँ निकलतीं हैं,,
दोस्तों  जश्न-ए-ईद-ए-मिलादुन्नबी हर मुस्लिम के लिया सबसे बढ़ कर होना चाहिए क्यों की दोस्तों अगर हमारे नबी नहीं आते तो न तो कुरान न ही नमाज़ न ही हज न ही सूरज चाँद सितारे न ही आसमान बनता न ज़मीं बनती न इंसान बनते ओर जब इंसान ही न बनते तो फिर हम किस पर नाज़ करते  मगर हम लोग ये भूल गए हे हम फिरको में बट गए हे जब सब उम्मती की नबी हजूर स. अ. बख्शीश कराएंगे तो आपस में किस लिए झगड़ना ,
दोस्तों नबी की महफिल में किया नाच गाने होते हे या कुछ ओर , अरे नबी की महफ़िल में दिन इस्लाम और हदीस की बाते बताई जाती है जिससे ईमान ताज़ा होता सभी लोग जमा होते और ये अच्छी बात हे अगर हम सब एक साथ जमा होकर हदीस की बात सुने , दिन की बात जाने

दोस्तों मेरा मक़सद जानिए......में किसी को लड़ाना नही चाहता लेकिन आप ख़ूद ग़ौर करों क्या ये सही है~???
मुझे इसीलिए ईन लोगो से नफ़रत है क्यूंकि ईनकें अक़ीदें सिर्फ़ मेरे आक़ा की शान बयान करना ग़लत बतातें हैं और यौम-ए-आज़ादी मनाना सही..
दोस्तों मेरा इस वीडियो बनाने का मतलब ये नही है की मैं अपने वतन हिन्दोस्तान की यौम-ए-आज़ादी के झंडे लगाने के ख़िलाफ़ हु, मेरे इस वीडियो का मतलब साफ़ है,और मेरी ये बात सिर्फ़ और सिर्फ़ उन लोगो के लिए है जो हमारे नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम की यौम-ए-पैदाईश के दिन झंडे लगानें मिलाद मनानें और ख़ुशी मनानें को नाजाईज़ और हराम कहतें हैं

बे अमल दिल हो तो जज़्बात से क्या होता है_______________
ज़मीन बंजर हो तो बरसात से क्या होता है________________
ना हो जिस दिल में मोहब्बत मेरे सरकार की_______________
उस मरे हुए दिल की ईबादत से क्या होता है_______________
नबी का साया-ए-रहमत यहाँ भी है वहाँ भी है______________
हमारें वास्ते जन्नत यहाँ भी है वहाँ भी है__________________
मदीना देख़कर दिवाना-ए-सरकार कहता है________________
हमारें वास्ते राहत यहाँ भी है वहाँ भी है__________________
वहाँ पर आतिश-ए-दोज़ख़ यहाँ अहमद रज़ा वालें___________
वहाबी के लिए आफ़त यहाँ भी है वहाँ भी है_______________

और जो लोग दलील मांगते है उनके लिए एक जरूरी बात , दोस्तों एक सुन्नी चाहे आलिम हो या हाफ़िज़ हो या क़ारी हो या साधारण इंसान हो,वो डंके की चोट पर बोलता है की मैं सुन्नी हु,,,,लेकिन किसी देवबन्दी को देवबन्दी or वहाबी को वहाबी कहदों तो उसका चेहरा लाल पिला हो जाएगा जैसे किसी ने उसके थोबड़े पर जूतें maar diye हो,लेकिन किसी सुन्नी को सुन्नी बोल दों तो उसका चहेरा गुलाब की तरहा ख़िल जाएगा,अगर यक़ीन ना हो तो आज़मा कर देख़ lena ....


Sunday, 19 November 2017

रानी पद्मावती की असली कहानी , Rani Padmavti Ki Reall Story

हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु दोस्तों संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। महारानी पद्मिनी कहें या रानी पद्मावती, उनका सौंदर्य अद्वितीय था।  यही कारण है कि इतिहास में उनकी सुंदरता की जमकर तारीफ की गई है।फिल्म पद्मावती का बवाल बढ़ता ही जा रहा है राजपूतो के अलावा कई राजनितिक हस्तिया इस फिल्म को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा राखी है इस फिल्म को बैन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चले गए है हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जिम्मेदारी सेंसर बोर्ड पर डाल रखा है इस फिल्म के विरोध में खड़े लोगो का यह आरोप है की इस फिल्म में रानी पद्मावती के चरित्र यानी व्यक्तित्व को गलत तरिके से दर्शाया गया है इन लोगो का आरोप है की इस फिल्म में रानी पद्मावती को गलत तरिके से नाचते हुवे दिखाया गया है इससे राजपूत समाज गुस्से में है और करनी सेना तब से इस फिल्म के पीछे , संजय लीला बंशलि के पीछे लगी हुवी है जब से इस फिल्म की सुट्टीग शुरू हुवी थी  ,

संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावती के विरोध में अब मुस्लिम धर्म गुरू भी सामने आए हैं। अजमेर दरगाह दीवान ने कहा है कि भंसाली ने इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया है। ऐसे में राजपूतों का साथ देने के लिए मुसलमानों को भी आगे आना चाहिए।


मगर दोस्तों आज  हम बात करने वाले है रानी पद्मावती की , रानी पद्मावती के इतिहास की ,

बारवी और तेरवी सदी में अलाउद्दीन खिलजी ने सुन्दर रानी पद्मावती को पाने के लिए मेवाड़ पर हमला किया था मगर इस कहानी को कुछ लोग गलत मानते है कुछ लोगो का आरोप है यह कहानी मुस्लिम लोगो ने हिन्दुओ को ठेस पहुंचने के लिए लिखी है
आइये अब आपको रानी पद्मावती की पूरी कहानी बताते है रानी पद्मिनी बचपन से ही बहुत सुन्दर थी और जैसे जैसे वो बड़ी हुवी वैसे वैसे उसकी सुंदरता बढ़ती ही गयी  , और बड़ी होने पर उसके पिता ने उसका स्वयंवर आयोजित किया था इस स्वयंवर में उन्होंने सभी हिन्दू और राजपूत राजाओ को बुलाया था
इनमे एक राजा रावल रतनसिंग पहले से ही अपनी एक पत्नी नागमती होने के बाउजूद इस स्वयंवर में आया था पुराने जमाने में राजा एक से अधिक विवाह किया करते थे ताकि वंश ज्यादा बढे और ज्यादा उत्तराधिकारी मिल सके ,
राजा रावल रतनसिंग ने स्वयंवर जीतकर रानी पद्मिनी से शादी कर ली और विवाह के बाद वह अपनी पत्नी के साथ चितोड़ लोट आए , एक अच्छे योद्धा एक अच्छे पति होने के साथ साथ  रतनसिंग कला के जानकार भी थे रावल रतनसिंग के दरबार में कई संगीतकार भी थे इनमे एक थे राघव चेतन नाम के शक्श  , राघव चेतन के बारे में लोगो को यह नहीं मालूम था की यह एक जादूगर भी है वह इस काले जादू का इस्तेमाल दुश्मनो को मार गिराने में करते थे एक बार राघव चेतन को बुरी आत्माओ को बुलाते समय रावल रतनसिंग देख लेते है और उन्हें रंगे हातो पकड़ लेते है इस बात से नाराज होकर  रावल रतनसिंग ने राघव चेतन का मुँह काला करके दरबार से निकाल देते है इस घटना के बाद जादूगर राघव चेतन राजा रतनसिंग का दुसमन बन गया , बदले की भावना में जलते हुवे जादूगर राघव चेतन दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन खिलजी से चितोड़ पर हमला कराने के मकसद से उनके पास पहुंच गया , इस पर अलाउद्दीन खिलजी ने राघव चेतन को साफ साफ बात बताने के लिए कहा इस पर राघव चेतन ने सुलतान से रानी पद्मिनी के सुंदरता का बखान किया और बताया की रानी पद्मिनी से सुन्दर कोई नहीं हो सकती , यह सुनकर खिलजी की वासना जाग उठी  , उसने रानी पद्मिनी को अपने महल में लाने के इरादे से चितोड़ पर हमला करने का इरादा किया , जल्दबाजी में बेचैन अलाउद्दीन खिलजी चितोड़ पहुंचे मगर खिलजी को चितोड़ का किला भारी रक्षण में दिखा।  , सुन्दर रानी पद्मिनी की एक झलक पाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी बेचैन हो उठा , खिलजी ने रावल रतनसिंग को एक पत्र भेजा और उसमे लिखा की मेने रानी पद्मिनी की सुंदरता के बहुत चर्चे सुने है हम एक बार रानी की झलक पाना चाहते है फिर हम वापिस लोट जाएगे इस बात को सुनते ही रतन सिंह खिलजी के आक्रमण को रोकने और राज्य की शांति को बनाए रखने के लिए इनकी बात से सहमत हो गए , रानी पद्मिनी खिलजी को कांच में अपना चेहरा दिखने के लिए राजी हो गई , जब अलाउद्दीन खिलजी को यह खबर पता चली की रानी पद्मिनी उससे मिलने के लिए तैयार हो गयी है तो वह अपने कुछ योद्धाओ के साथ सावधानी से किले में प्रवेश कर गया , और जब रानी पद्मिनी के चेहरे को कांच में खिलजी ने देखा तो खिलजी ने रानी की सुंदरता को देख होश उड़ गए , और उसने सोचा की रानी को वह अपनी बनाकर ही रहेगा , वापिस अपने सीवर लौटते समय खिलजी रतन सिंह के साथ चल रहा था और मौका पाकर खिलजी ने रतनसिंघ को बंदी बना लिया और पद्मिनी की मांग करने लगा इस पर रत्न सिंह के कुछ योद्धाओ ने एक चाल चली और खिलजी को एक संदेश भेजा की अगली सुबह पद्मिनी आपको सौंप की जाएगी , अगले दिन सुबह भोर होते ही एक सो पचास पालकियों को खिलजी के शिविर की तरफ रवाना कर दी गयी , पालकियां वहां रुकी जहां रतन सिंह को बंदी बनाया गया था , पालकियों को देखकर रतन सिंह ने सोचा यह पालकियां किले से आई है  और इनके साथ रानी पद्मिनी भी आई होगी और वह अपने आप को बहुत अपमानित समझने लगा , मगर उन पालकियों ने ना ही रानी और ना हि दासिया थी।  उसमे योद्धा थे और अचानक उन पालकियों में से सशत्र योद्धा निकले और राजा रतन सिंह को छुड़वा लिया गया और खिलजी के घोड़े चुराकर किले की तरफ भाग गए , जब खिलजी को यह पता चला की उसकी योजना नाकाम हो गयी है तो खिलजी ने गुस्से में आकर अपनी सेना को चितोड़ पर हमला करने के आदेश दिए , सुलतान की सेना ने किले में प्रवेश करने की बहुत कोशिस की मगर नाकाम रही मगर खिलजी ने किले की घेरा बंदी करने का निश्चय किया और घेरा बंदी इतनी कड़ी थी की किले में खाने पिने का सामान धीरे धीरे खत्म होने लगा और अंत में रतनसिंग ने किले के द्वार खोलने के आदेश दिए और उसके सेनिको से लड़ते हुवे राजा रतन सिंह वीर गति को प्राप्त हो गए यह सुचना सुनकर रानी पद्मावती ने सोचा की अब सुलतान की सेना सभी पुरुषो को मार देगी अब चितोड़ की ओरतो के पास दो ही विकल्प थे या तो वो जोहर के लिए तैयार हो या फिर खिलजी की सेना के सामने अपना निरादर सहे  , सभी महिलाए जोहर के लिए तैयार हो गयी , और फिर किले में एक विशाल चिता जलाए गयी और फिर उस चिता में रानी पद्मिनी के साथ साथ चितोड़ की सभी महिलाए उसमे कूद गयी इस प्रकार दुश्मन बहार खड़े देखते रह गए , जब खिलजी की सेना ने किले में प्रवेश किया तो उनको चितोड़ की महिलाओ की राख और केवल जली हुवी हड्डियां मिली जिन महिलाओ ने इज्जत बचने के लिए जोहर किया उनको आज भी याद किया जाता है
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Thursday, 16 November 2017

क्या ट्रम्प के कहने पर हो रही है सऊदी राजकुमारों की गिरफ्तारियां ? जाने इसका सच

हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु चैनल , दोस्तों आज हम बात करेंगे सऊदी अरब की , सऊदी अरब के अंदरूनी खींचतान की , दोस्तों जैसा आप जानते है पिछले कुछ दिनों से सऊदी अरब में क्या चल रहा है बड़े बड़े लोगो की , मंत्रियों की  , राजकुमारों की गिरफ्तारियां हो रही है पिछले कुछ दिनों से लगभग दो सो आठ लोगो को गिरफ्तार किया जा चुका है , माना जा रहा है की ये उनके आपसी मतभेद की वजह से हो रहा है आज हम आपको इसकी सच्चाई बताने वाले है क्या ये गिरफ्तारियां ट्रम्प के कहने से हो रही है या फिर इनके आपसी मतभेद की वजह से दोस्तों अगर आप ये जानना चाहते है तो इस को आखिर तक जरूर देखे

सऊदी अरब के किंग अब्दुलाह की मौत के बाद उनके भाई 79 साल के सलमान देश के नेता बन गए। नए किंग ने अपने सौतेले भाई अब्दुलअजीज को राजकुमार और अगले उत्तराधिकारी के रूप में रखा।

बताया जाता है कि युवराज मोहम्मद ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन नाएफ के खिलाफ साजिश रची। 4 नवंबर की रात, सीनियर प्रिंस और सीनियर सुरक्षा अधिकारी मक्का के सफा पैलेस में मिले। उन्हें बताया गया था कि किंग सलमान उनसे मिलना चाहते हैं। यह जानकारी न्यू यॉर्क टाइम्स ने कुछ अधिकारियों के हवाले से दी। आधी रात से पहले बिन नाएफ को बताया गया कि किंग उनसे अलग से बात करना चाहते हैं और उन्हें एक अलग कमरे ले जाया गया। इस बंद कमरे में रॉयल कोर्ट ने उनका मोबाइल फोन ले लिया गया और उन पर क्राउन प्रिंस का पद छोड़ने का दबाव बनाया। शुरू में उन्होंने इसका विरोध किया, लेकिन बाद में राजी हो गए। रॉयल कोर्ट के अधिकारियों ने इस दौरान राजकुमारों के समूह से बात की, जिन्हें इस बदलाव को स्वीकृति देनी थी। कुछ लोगों को बताया गया कि मोहम्मद बिन नाएफ को ड्रग की आदत है और वह किंग बनने के लायक नहीं हैं।

किंग सलमान ने अपने सबसे पसंदीदा बेटे प्रिंस मोहम्मद को सबसे अगली पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया। उनके बेटे को क्राउन प्रिंस और उप प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्हें रक्षा मंत्रालय का जिम्मा लिया और उसके बाद ऑयल और इकॉनमिक पॉलिसी को नियंत्रित करना शुरू किया। इसके बाद यूएस के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने क्राउन प्रिंस को फोन किया और उन्हें शुभकामनाएं दी। रिपोर्टो की माने तो जो गिरफ्तारियां हुवी है वो भरस्टचार के चलते हुवी है सऊदी अरब में पिछले एक दसक से लगभग एक खराब डॉलर का भरस्टाचार हुवा है इस आरोप में कई लोगो को गिरफ्तार किया जा  चूका  है और कई गिरफ्तारियां  होनी  अभी बाकि  है और ये गिरफ्तारियां भी जल्द ही हो सकती  है

मगर  दूसरी  और लोग  कहते  है की इस  देश  के युवराज  मोहम्मद  बिन सलमान भरस्टाचार का  बहाना बनाकर अपने तमाम विरोधियो का सफया कर रहे है

कई लोगो का मानना है की सऊदी में सत्ता को लेकर लड़ाई चल रही है बिन सलमान हर उस वयक्ति को apne रास्ते से हटा रहे है jo उनके सत्ता तक  के रस्ते में thoda sa भी roda atkaa  सकते है
गिरफ्तार किये गएलोगो में सऊदी अरब के सबसे bade udhogpati राजकुमार valid बिन talaal , राजकुमार मतब बिन abdullah भी shamil है कई लोगो का तो yeah भी kahnna है की ये सब ट्रम्प के कहने पर हो रहा है riport की मने तो trmp ने सलमान को फोन करके राजकुमार को गिरफ्तार करने के liye kahaa था kyo की राजकुमार के और trmp के आपसी मतभेद काफी दिनों से chl rahe थे
दोस्तों आप को बता दे की सऊदी अरब में अभी ye silsilaa rauka nahi है अभी सऊदी अरब ke andruni halaat bahut khrab chl रहे है jiski vajh se vahaa काम रहे कामगारों पर भी मुसीबत बानी हुवी है
  जानकारी अच्छी लगे तो लाइक जरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलना ,  आपका बहुत bahut थैंक्स  , धयन्वाद

Tuesday, 14 November 2017

आखिर क्यों समंदर में तैरती रहती है हाजी अली की दरगाह

हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु यूट्यूब  , दोस्तों आज हम बात करेंगे हाजी अली शाह के दरगाह की जो मुंबई के वर्ली तट के पास में एक छोटे से टापू पर बनी हुवी है और बात करेंगे उनके करामातों की , दोस्तों मुम्बई मे पिछले कुछ दिनो से हो रही लगातार बारिश ने पुरी मुम्बई मे पानी ही पानी कर दिया है । इसी लगातार हो रही बारिश के कारण समुद्र के पानी का जलस्थर भी काफी बढ गया है । लेकिन मुम्बई मे समुन्दर के बिचो बिच मोजुद सरकार हाजी अली रह.अ. कि दरगाह के आस पास भी पानी खतरे के निशान से उपर चला गया है , लेकिन उस समुन्दर के पानी कि इतनी हिम्मत नही जो एक कतरा पानी भी सरकार हाजी अली रह.अ. कि दरगाह मे चला जाऐ । ये देख कर देश और दुनिया के बडे बडे वैज्ञानिक भी हैरान है कि आखिर एसा केसे हो सकता है कि पानी दरवाजो और खिडकीयो से उपर चला जाए लेकिन एक कतरा भी अन्दर ना जाए । हमारे देश कि सबसे बडी न्युज एजेन्सी इण्डिया टुडे ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा है ।
"ये तो मेरे सरकार हाजी अली का करिश्मा है

दोस्तों हाजी अली दरगाह की खासियत यह है कि यहां सच्चे मन से जो भी कोई मुराद मांगता हैं उसकी मन्नत पूरी होती है। लेकिन सबसे खास बात ये कि यह दरगाह समुद्र के बीच में होते हुए भी ये  डूबती नहीं। अगर आप भी इसकी वजह जानना चाहते हैं तो दोस्तों इस को आखिर तक देखे और जाने की आखिर क्यों समंदर में तैरती रहती है हाजी अली की दरगाह,

हाजी अली की दरगाह सैय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में सन 1431 में बनाई गयी थी ये दरगाह जमीन से कम से कम 500 गज दूर समु्द्र के भीतर बनी है। फिर भी ये डूबती नहीं है

 हाजी अली की दरगाह तक पहुंचने के लिए लोगों को लंबे सीमेंट के बने पुल से होकर गुजरना पड़ता है जो कि दोनों ही तरफ से समुद्र से घिरा है। लोगों की पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही कहानियों और दरगाह के ट्रस्टियों की मानें को पीर हाजी अली शाह पहली बार जब व्यापार करने अपने घर से निकले थे तब उन्होंने मुंबई के वरली के इसी इलाक़े को अपना ठिकाना बनाया था।. और फिर यही पर रहने लगे ,
उन्होंने यहीं रहकर इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार करने की बात सोची। इसी मकसद के साथ उन्होंने अपनी मां को एक खत लिखकर इसकी जानकारी दी और अपनी सारी संपत्ति गरीबों में बांटकर धर्म का प्रचार-प्रसार करने लगे। हाजी अली सबसे पहले हज की यात्रा पर गए, लेकिन इस यात्रा के दौरान उनकी मौत हो गयी। मरने से पहले उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जताई थी की मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाएं बल्कि उनके कफन को समुद्र में डाल दिया जाए। लोगो ने ऐसा ही किया और उनके ताबूत को अरब सागर के समुन्दर में डाल दिया गया, लेकिन उनका ताबूत तैरता हुवा अरब सागर से होता हुआ मुंबई की इसी जगह पर आकर रुक गया, जहां वो रहते थे।

जहां उनका ताबूत आकर रूका उसी जगह पर 1431 में उनकी याद में दरगाह बनाई गई। खासबात ये कि तेज लहरों के आने के बावजूद भी इस दरगाह के भीतर पानी की एक बूंद नहीं जाती है।

दोस्तों इस दरगाह की खासियत यह भी है यहां हिन्दू मुस्लिम हर समुदाय के लोग अपनी मन्नते लेकर पहुंचते है और सबकी मुरादे पूरी होती है
और दोस्तों ये तो मेरे सरकार हाजी अली का करिश्मा है और खुदाई करिश्मा है जिसकी वजह से समुन्दर के पानी का एक कटरा भी दरगाह के अंदर नहीं जा पाटा है


दोस्तों
जानकारी अच्छी लगे तो वीडियो को लाइक जरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलना , वीडियो देखने के लिए आपका बहुत बहुत सुक्रिया 

Wednesday, 8 November 2017

ख्वाजा गरीब नवाज़ की जिंदगी के बारे में , ख्वाजा के दीवाने जरूर पढ़े

हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु यूट्यूब चैनल दोस्तों आज हम आपको बताएगे ख्वाजा गरीब नवाज के बारे में , ख्वाजा मोउनुद्दीन चिस्ती की जिंदगी के बारे में ,
दोस्तों इस में हम आपको ख्वाजा गरीब नवाज़ की जिंदगी से जुडी हर एक बात बताने वाले है अगर आप ख्वाजा गरीब नवाज की जिंदगी के बारे में जानना चाहते है तो आप इस वीडियो को शुरू से लेकर आखिर तक जरूर देखे
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाहि अलेह एक इमाम थे जो 1141 ई. में अफगानिस्तान और ईरान के बीच में चिश्ती शहर में पैदा हुए  ।
आप हुस्सैनी सईद है . आप के वालिद  मोहतरम हज़रात  ग़यासुद्दीन  रहमतुल्लाहि  अलैहि  जो
हज़रातिमाम हुसैन रदिअल्लहु तल्ला अन्हु  की औलाद में से है और आपकी वालिदा मोहतरमा सईदा बीबी उम्मालवारा जो हज़रात इमाम हसन रदिअल्लहु तल्ला अन्हु की  औलाद में से है ,
आप के वालिदैन निहायत ही सीधे और परहेज़गार थे .ख्वाजा साहेब की पैदाइश से पहले ही आपके घर में करामातों का ज़हूर शुरू हो गया था .आपके घर में बरकतों नियामतों के दरवाज़े खुल गए थे . दुश्मन दोस्त बनने लगे  .इज़्ज़त बढ़ने लगी.  जब से  माँ के पेट में आप के जिस्म में रूह पड़ी उस वक़्त से पैदाइश तक आधी रात से सुबह होने तक आपके घर में ला इल्लाहा  इल्ला का ज़िक्र करते रहते.
आप की पैदाइश की रात आप का घर नूर से भर गया था. आपकी माँ की घबराहट देख गैब से आवाज़ आयी ए औरत परेशान ना हो यह मेरा ही नूर था जो मेने तेरे लखत ए जिगर बेटे  में  भर दिया है
ख्वाजा ग़रीब नवाज़ 14 साल के थे तब ही आप के वालिद का साया सर से उठ गया. और अभी आप अपने वालिद का ग़म भुला भी ना पाए थे के आपकी वालिदा भी इस दुनिया से पर्दा फरमा गयी
उसके बाद ख्वाजा साहेब का इस दुनिया से दिल भर गया और हकीकी मंजिल की जुस्तजू ने करवट ली आप को उस वक़्त ऐसे बन्दे की तलाश हुई जो बन्दे को खुदा से मिलाता है
एक दिन आप अपने बाग़ में दरख्तों को पानी दे रहे थे की हरजरात शेख इब्राहिम ख़ानदोज़ी वहा तशरीफ़ लाए जो खुदा के दीवाने थे जो एक बुजुर्ग थे ख्वाजा साहेब अपना सारा काम छोड़ कर उनकी खिदमत में हाजिर हुए और उनके दस्ते मुबारक को बोसा देकर उनकी छाव में बैठे और अपना बाग़ के अंगूर पेश किए और खुद दोज़ानू जैसे नमाज में बैठते है वैसे बैठ गए
हजरत शेख खन्दोजी रहमतुल्लाहि अलेह को ख्वाजा साहेब का ये अंदाज बहुत ही पसंद आया बहुत ही अच्छा लगा वो समझ गए की ये लड़का मारिफ़ाते इलाहि का मुतलाशी है उन्होंने एक लकड़ि का टुकड़ा अपने दांतो से चबा कर ख्वाजा साहेब के मुंह में डाला , वो लकड़ी का टुकड़ा शराबे मारिफ़त का जाम जैसा था जिसे चखते ही ख्वाजा साहेब की आँखों में नूर ही नूर छा गया , खुदी के तमाम परदे हट गए और दिल में खुदा की मोहब्बत जोश मारने लगी
जिसका नतीजा यह हुवा की आप ने अपनी तमाम जायदाद बेच कर गरीबो में बाँट दी और खुद मारिफ़त ए इलाही की तलाश में निकल पड़े , मगर इस के लिए इल्म का हासिल करना बहुत जरूरी था और उसके बाद उस इल्म के अमल की , तब कही जा कर जलवा मेहबूब नजर आता है , समरकंद और बुखारा उन दिनों अजीमोशान दारुल उलूम हुआ करते थे , दुनिया के कोने कोने से बच्चे इनमे पढ़ने आते थे और ओलमाओ के गोहर पाते थे
ख्वाजा साहेब ने भी अपने लिए इसी मरकज का इंतिखाब किया , यहाँ उन्होंने उलूमे ज़ाहिरी की तालीम पाई , फिर आप मुरसदे कामिल की तलाश में बगदाद गए वहाँ खसबै हारुन में ख्वाजा उस्मान ए हारुन से मुलाक़ात हुई जो बहुत पहुंचे हुए पीर थे  आपका ख्वाजा उस्मान ए हारुन की सोहबत में बिस साल का अरसा गुजरा
आप ने इन की हर तरह से खिदमत की और वो नियामते पाई जो ब्यान से बाहर है ख्वाजा उस्मान ए हारुन रहमतुल्लाहि अलेह ख्वाजा साहेब को बहुत चाहते थे और कहते थे मोइउनुद्दीनन मेहबूब ए हक़ है और मुझे उस पर नाज़ है आप अक्सर रोजे रखते थे और आप की इन इबादत का ही नतीजा था के आप की रूहानी ताक़त इतनी बढ़ी हुई थी की आप की नजर जिस पर भी पड़ जाती वो चश्मे ज़दन यानी पालक झपकने तक में आपका दीवाना बन जाता था
एक बार ख्वाजा साहेब ने अपने मुर्शिद से इजाजत लेकर मक्का मुकर्रमा के लिए रवाना हुए , वहां आप की किस्मत का सितारा चमका और आप पर मेहबूब ए हकीकी मेहरबान हो गए , मेहबूब ए हकीकी ने फ़रमाया ए मोईनुदीन में तुझ से राज़ी हूँ और तू बक्श दिया गया और तू जो चाहे तलब फ़रमाले
इस पर ख्वाजा साहेब ख़ुशी से बेखुद हो गए , फिर भी आप ने अपने लिए नहीं बल्कि अपने सिलसले में आने वाले तमाम मुरीदो की बखसीस की दुआ मांगी और ता कयामत तक इस सिलसिले चिश्तिया को कायम रखने की दुआ मांगी आप की यह दुआ उसी वकत मकबूल हुई उसी वक्त कबूल हो गयी और इसी दुआ के फजल से और अल्लाह के करम से ये सिलसिला अब तक कायम है
यह दुआ ख्वाजा साहेब की फराख दिली की मिसाल है , आप ने इतने बरसो की कड़ी रियाज़त ओ इबादत का फल अपने चाहने वालो को बक्श दिया , जो ता कयामत तक तलब गारो को मिलता रहेगा
आप अपने मुरशाद कामिल के हमराह मदीने मुनवारा गए और हुजूर स. अ. के रोज़ा ए मुबारक पर हाज़री दी , गरीब नवाज जानते थे की इसी बारगाह अज़मत से बादसाही और सरदारी मिलती है , इस दहलीज से निकलने वाले क़ुतुब और गौश के बुलंद मरतबे पर फैज़ होते है
चुनाचे ख्वाजा साहेब काफी आरसे तक दरूदो सलाम का तोहफा पेश करते रहे  , एक रोज आप मुस्सले पर थे के हुजूर के रोज़े मुबारक से आवाज आई , मोयुनुद्दीन को बुलाओ , ख्वाजा साहेब आस्ताने मुबारक पहुंच कर हुजूर स. अ. के दीदार से मुसर्रफ हुए और हुक्म हुवा , ए मोईनुद्दीन तू हमारे दिन का मददगार है और खास हमारा है हम तुम्हे विलायत ए हिन्द अता करते है , तुम अजमेर जाओ और वहां से कुफ्र ओ ज़हालत को दूर करो
ख्वाजा साहेब रसुल्लाह स. अ का तोहफा लेकर रवाना हुए  , राह सफर में जहां भी जो बुजुर्ग मिलते उनसे मुलाक़ात का फैज़ हासिल किया और अपने मुरशाद की खिदमत में हाजिर हो कर उन से इजाजत ली और अजेमर आ पहुंचे
ख्वाजा गरीब नवाज जब अजमेर पहुंचे उस वक्त अजमेर में पृथ्वी राज चौहान का राज चलता था , वहा के लोगो ने ख्वाजा साहेब की बहुत मुखालफत की , आपको हर तरह से सताया गया , आप ने खुदा के करम से हर एक मुखालफत करने वाले का दिल बदला और उनकी तकदीर बदली और उन्हें अपनी नरम दिली की वजह से माफ़ फ़रमाया
आप की तालीमों तब्लीग़ से मुतास्सिर हो कर लोग इस्लाम में दाखिल होने लगे , पृथ्वी राज ने ये हाल देख कर अपने गुलामो , जोगियो और जादूगरों को भेजा , जिन्होंने अपने सारे जादू ख्वाजा साहेब पर आजमाए लेकिन ये सब बातिल हक़ के आगे कहाँ ठहरने वाले थे  , सब ख्वाजा की करामातों बरकतो से भाग गए और ख्वाजा का हाथ पकड़ कर तोबा की और इस्लाम कबूल किया
उनमे जादूगर जयपाल जोगी का किस्सा तो मशहूर है जो बहुत ही पहुंचा हुवा जादूगर था और वो ख्वाजा के हलके में दाखिल हो कर वली के दर्जे को पहुंचे और आप ने उनका नाम अब्दुल्लाह बियाबानी रखा आज भी अब्दुल्लाह बियाबानी का नाम भूले भटको को राह दिखाता है
यही पर एक लंगर खाना जारी किया गया जिसके दरवाज़े  हर मुस्लिम और गैरमुस्लिम के लिए खुले रहते थे वो लंगर तब से लेकर आज तक वैसे ही चल रहा है
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती रहमतुल्लाहि अलेह गरीबो के लिए मसीहा थे , आप अपने मुरीदो से और अकीदत मन्दो से फरमाते के जरुरतमंदो ओर गरीबो से मोहब्बत रखो , जो इनको दोस्त रखता है खुदा उसको दोस्त रखता hai , कभी कोई आप को नजराना करता तो आप गरीबो में बाँट देते थे , ख्वाजा साहेब को अपने मुरीदो से बहुत मोहब्बत थी , आप को हुजूर स. अ. से इतनी मोहब्बत थी इतना इश्क़ था की जहां हुजूर का नाम आया आप की आँखे पुरनम हो जाती थी
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Sunday, 5 November 2017

इस्लाम में नेक शोहर की पहचान , मर्दो के हकूक

हेल्लो फ्रेंड्स , आप देख रहे है स्टार गुरु  , फ्रेंड्स हमने ओरतो के हकूक की बात बहुत कर ली आज  हम बात करेंगे मर्दो की , आज हम बात करेंगे नेक सोहर की , आज हम बात करेंगे बेहतरीन सोहर की , इस्लाम में बेहतरीन शोहर कोण है क्यों की दोस्तों ओरतो के हकूक पर जो वीडियो बनाया गया उस पर बहुत सारे कमेंट आए की सर सब कुछ ओरतो के लिए ही है या मर्दो पर भी है कुछ तो आज का वीडियो खास उनके लिए है आप की जानकारी के लिए बता दू की इस्लाम ने ओरतो को मर्दो से ज्यादा हक़ दिए है खेर इनके बारे में इंशा अल्लाह फिर बात करेंगे आज हम आपको इस्लाम में नेक और अच्छे मर्द के बारे में बताएगे और बताएगे की इस्लाम में बेहतरीन शोहर कोण है  तो चलिए फ्रेंड्स शुरू करते है
औरत के साथ बीवी के साथ कैसा बर्ताव किया जाय, इस के बारे मे नबी स0 ने फ़रमाया :-

(१) हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी के अलावा किसी अजनबी या दूसरी औरत पर निगाह ना डाले  •

(२)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया की  अपनी बीवी  को मारने वाला बीवी पर हाथ उठाने वाला शोहर दुनिया का सबसे बुरा इंसान होता है

(३) हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी के हकूक अदा करने में किसी किस्म की गफलत और कोताही ना करे 

(४)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया तुम में से अच्छा शोहर वो है जो अपनी बीवी के साथ अच्छा सलूक करे

(५)   हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी को परदे में रख कर इज्जत ओ आबरू की हिफाजत करे

(६)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया औरतों के साथ अच्छे तरीके से पेश आने का खुदा हुक्म देता हैं, क्योकि वे तुम्हारी मॉ, बहिन और बेटियॉ हैं।

(७)   हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी पर कभी ज़ुल्म और किसी किश्म की भी ज्यादती ना करे

(८) हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया कोर्इ मुसलमान अपनी बीवी से नफरत न करें। अगर उसकी कोर्इ एक आदत बुरी हैं तो उसकी दूसरी अच्छी आदत को देख कर मर्द को खुश होना चाहिए।

(९) हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी की मुसीबतो बीमारियों और रंजो गम में दिलो जान से और वफादारी का सबूत दे 

(१०)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया  अपनी बीवी के साथ दासी जैसा व्यवहार न करो। नौकरानी जैसा सलूक मत करो और उसको मारो भी मत।

(११)  हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी से इस कदर मोह्हबत करे  के वो किसी बुराई की तरफ रुख भी ना कर सके

(१२)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया जब तुम खाओं तो अपनी बीवी को भी खिलाओं । जब तुम पहनो तो अपनी बीवी को भी पहनाओं

(१३) हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी को दीनदारी की ताकीद करता रहे और शरीयत की राह पर चलाए

(१४)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतर है जो अपनी बीवी को अपनी जगह के सारे  अधिकार की मालिक बनाता है

(१५)  हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी को ज़िल्लत ओ रुसवाई से बचाए रखे

(१६)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतर है जो अपनी बीवी के साथ नरमी खुश मिजाज और हुस्ने सलूक के साथ पेश आए

(१७)  हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया अपनी बीवी को ताने मत दों। चेहरे पर न मारो। उसका दिल न दुखाओं। उसकी छोड़कर न चले जाओं।

(१८) हमारे नबी स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी को अपने ऐसो आराम में बराबर समझे

(१९) हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी की खूबियों पर नजर रखे और मामूली गलतियों को नजर अंदाज करे

(२०)   हजरत मोहमाद  स0 ने फ़रमाया वो शोहर बेहतरीन है जो अपनी बीवी की तंग मिजाजी और बदअख्लाकी पर सबर करे

फ्रेंड्स इस तरह से इस्लाम ने ओरतो के बारे में ही नहीं बल्कि मर्दो के बारे में भी बहुत कुछ कहा है दोस्तों  अच्छा लगे तो लाइक बटन पर क्लीक जरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलना ,  देखने के लिए आपका बहुत बहुत सुक्रिया 

Friday, 3 November 2017

2022 तक गल्फ हो जाएगा बंद , सऊदी अरब दुबई क़तर और बहरीन जैसे देशो में नौकरी खत्म

हेल्लो दोस्तों , आप देख रहे है स्टार गुरु  दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी न्यूज़ बताने वाले है जिसको सुनकर आपके होस उड़ सकते है  , आप चौक सकते है  , दोस्तों दो हजार बाइस तक गल्फ बंद होने वाला है गल्फ की नौकरी ब्नद होने वाली है जी हां दोस्तों आपने सही सुना , दो हजार बाइस , गल्फ में कमाने वालो के लिए आखिर है गल्फ में सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा भारतीयों को नौकरी देने वाला देश सऊदी अरब है मगर अभी के हालात यह है की सऊदी अरब में काम कर रहे हैं पेंतीस लाख से अधिक भारतीयों की नौकरी संकट में है. वहां की सरकार ने नई स्कीम लॉन्च की है, जिसके तहत प्रवासियों यानी  खर्जियो के लिए वीजा नियम सख्‍त किए जा रहे हैं और अपने नागरिकों को जॉब में प्राथमिकता दी जा रही है अब हर जगह हर काम में सऊदी अरब के नागरिक को बिठाया जा रहा है चाहे वो मोबाइल शॉप्स हो या कोई बड़ा मॉल , और तो और दोस्तों हाल ही में सऊदी अरब ने एक ऐसा नियम बनाया है जिसके तहत ऑफिस में केवल सऊदी नागरिक ही काम कर सकता है  , बाहर का आदमी चाहे वो कितनी भी बड़ी पोस्ट पर हो धुप में ही काम करेगा ,
तेल पर आधारित सऊदी अरब की इकोनॉमी तेल के दाम कम होने से कुछ सालों से भारी संकट से गुजर रहा है सऊदी अरब में कंपनियां बंद हो रही है सऊदी अरब में काम कर रहे कामगारों को कई कई महीनो से सेल्लेरी नहीं मिल रही है और सरकार को भी अपने खर्च करने पड़ रहे हैं. वहां जॉब की स्थिति भी लगातार खराब होती जा रही है. अपने नागरिकों के असंतोष को देखते हुए सऊदी अरब की सरकार ने नौकरी देने के मामले में सऊदी नागरिक को फर्स्‍ट पॉलिसी देनी पड़ रही है.

अब बात करते है क़तर की
दोस्तों इन सब के अलावा गल्फ में अंदरूनी खींचातानी भी चल रही है दुबई. सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात ने  कतर के साथ राजनयिक और वयापारिक संबंध तोड़ दिए हैं. इन देशों ने कतर पर आतंकवाद को सहयोग देने और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए संबंध तोड़े हैं जिससे क़तर एकेला पड़ गया है

दोस्तों अब बात करते है दुबई की
दोस्तों सऊदी अरब की खराब स्थति का असर दुबई पर भी पड़ा है दुबई और सऊदी अरब के बहुत सारे काम आपस में जुड़े हुवे थे मगर सऊदी अरब के खराब हालात की वजह से दुबई पर भी काफी असर पड़ा है वहा की कंपनियों में भी कामगार परेशान होने लगे हो , दोस्तों दुबई क़तर ही नहीं पुरे गल्फ में असर पड़ा है और सबसे ज्यादा असर पड़ा है कंस्ट्रक्शन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर्स में और दोस्तों हम आपको बता देते है की इसी सेक्टर में भारतीय मजदूर सबसे ज्यादा भरे पड़े हैं जिनको इस बात से बड़ा झटका लगने वाला है.

गल्फ में काम करने वालो भारतीयों में सबसे ज्यादा राजस्थान उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, बिहार और केरल से है दोस्तों सूत्रों के हवाले से पता चला है की गल्फ के देशो ने एक गुप्त मीटिंग की है जिसमे ये निर्णय लिया गया है की अपने नागरिको को आगे लाया जाए और दूसरे देशो से आने वालो पर रोक लगाई जाए
दोस्तों अब भारतीय सरकार को भी अपने नागरिको के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें भारत में ही नौकरी पेशा देने की सोचनी चाहिए , दोस्तों अगर गल्फ में ऐसा ही चलता रहा तो सच में दो हजार बाइस तक गल्फ खत्म हो जाएगा , दोस्तों जानकारी अच्छी लगे तो  लाइक जरूर करना और चैनल सब्सक्राइब करना ना भूलना ,  आपका धन्यवाद